Sunday, December 15, 2019

shayri

" \n मेरे वजूद की मुझ में तलाश छोड़ गया जो पूरी ना हो कभी ऐसी आस छोड़ गया ये करम नवाजी उसकी मुझ पे कम है क्या कि खुद दूर है यादें पास छोड़ गया जो ख्वाहिशें थी कभी हसरतों में ढल गई अब मेरे लबों पे वो एक लफ्ज़ काश छोड़ गया ये मेरा जर्फ़ है इक रोज उसने मुझसे कहा कि आप लोगों में एक तुझको खास छोड़ गया बहारों से मुझे इसलिए तो नफरत है इन ऋतुओं में मुझे वो उदास छोड़ गया \n \nहज़ारो बातें मिल कर एक राज़ बनता है सात सुरों के मिलने से साज़ बनता है आशिक़ के मरने पर कफ़न भी नहीं मिलता और हसीनाओ के मरने पर ताज़ बनता है \n \n Bhari jawani ho abhi gulab lagti ho, Ishq wale ki nazar mai sharab dikhti ho, Aaj har kisi par tere husan ka jadu chalta hai, Lajabab ho jo lakho ke jigar par raaj karti ho. \n Nashili in nigahon mein ab bhi pyar jhalakta hai, Inhe dekhe bina ab ek pal na ye dil lagta hai, kya kahu bevas hai tere pyar ka mara hai, Har pal ab isi chehre se pyar karta hai.\n Tujhse umeed hai jana kabhi mujhse kafa na hona, Har khushi mein sath dena na kabhi mujhse kafa hona, Aaj mujhe ati hai teri har jazbaaton se pyar, Ab kabhi dur na hona jo padeh halat pe mujhe rona. \n तेरे बिना ज़िंदगी अधूरी है यारा तुम मिल जाओ तो ज़िंदगी पूरी है यारा तेरे साथ ज़िंदगी की सारी खुशिया दुसरो के साथ हसना तो मज़बूरी है यारा \n \n कभी रूत ना जाना मुझे मनाना नहीं आता कभी दूर ना जाना मुझे पास बुलाना नहीं आता अगर तुम भूल जाओ तो वो तुम्हारी मर्जी हमें तो भूल जाना भी नहीं आता || \n \n Dil tadpata hai to tadpane do, Thoda dard ka use bhi ahsas do, Pyar badh jayga milan ki chahat aur badegi, Sath dene se pahle thoda intezar karne do. \n सांसो का पिंजरा किसी दिन टूट जायेगा ये मुसाफिर किसी राह में छूट जायेगा अभी जिन्दा हु तो बात क्र लिया करो । क्याब पता कब हम से खुदा रूठ जायेगा || \n पाने से खोने का मज़ा कुछ और है बंद आँखों से सोने का मज़ा कुछ और है आँसू बने लफ़ज़ और लफ़ज़ बनी जुबा इस ग़ज़ल में किसी के होने का मज़ा कुछ और है \n \n मेरी दोस्ती की कहानी आपसे है इन साँसों की रवानी आपसे है ऐ दोस्त मुझे कभी बुला ना देना इस दोस्त ली ज़िंदगानी आपसे है \n \n दर्द बन कर दिल में छुपा कौन है रह रह कर इसमें चुभता कौन है एक तरफ दिल है और एक तरफ आइना देखते है इस बार पहले टूटता कौन है ।। पत्ते गिर सकते है पर पेड़ नहीं सूरज दुब सकता है पर आसमान नहीं धरती सुख सकती है पर सागर नहीं तुम्हे दुनिया भूल सकती है पर Sahil नहीं ।। चाहा ना उसने मुझे बस देखता रहा मेरी ज़िंदगी से वो इस तरह खेलता रहा ना उतरा कभी मेरी ज़िंदगी की झील में बस किनारे पर बैठा पथर फेंकता रहा \n बनके अजनबी मिले है ज़िंदगी के सफर में इन यादों को हम मिटायेंगे नहीं अगर याद करना फितरत है आपकी तो वादा है हम भी आपको भुलायेंगे नहीं ।। \n\n ना समझो कि हम आपको भुला सकेंगे। आप नही जानते की दिल मे छुपा कर रखेंगे। देख ना ले आपको कोई हमारी आँखों मे दूर से। इसी लिए हम पालखे झुका के रखेंगे। \n हमारे बिन अधूरे तुम रहोगे। कभी चाहा किसी ने खुद तुम कहोगे। हम ना होंगे तो ये आलम ना होगा। मिलेंगे बहुत से पर हम सा कोई पगल ना होगा । \n \n उदास नज़रो में ख़्वाब मिलेंगे। कभी काटे तो कभी गुलाब मिलेंगे। मेरे दिल की किताब को मेरी नज़रो से पढ़ कर तो देखो। कही आपकी यादे तो कही आप मिलेंगे । चेहरे पर हँसी छा जाती है। आँखों में सुरूर आ जाता है। जब तुम मुझे अपना कहते हो। अपने आप पर ग़ुरूर आ जाता है। \n \n प्यार में मौत से डरता कोन है । प्यार हो जाता है करता कोन है। आप जैसे यार पर हम तो क्या सारी दुनियां फिदा है। लेकिन हमारी तरह आप पर मरता कौन है। \n सामने मंजिल तो रास्ते ना मोड़ना । जो मन मे हो वो ख़्वाब ना तोड़ना । हर कदम पर मिलेगी सफ़लता । बस आसमान छूने के लिए जमीन ना छोड़ना । \n \n दिल मे आरज़ू के दिये जलते रहेगे। आँखों से मोती निकलते रहेगे। तुम शमा बन कर दिल में रोशनी करो। हम मोम की तरह पिघलते रहेंगे। \n \n दर्द को दर्द अब होने लगा है। दर्द अपने गम पे खुद रोने लगा है। अब हमें दर्द से दर्द नही लगेगा। क्योंकि दर्द हमको छू कर खुद सोने लगा है \n \nमोहब्बत मुकद्दर है कोई ख़्वाब नही। ये वो अदा है जिसमें हर कोई कामयाब नही। जिन्हें मिलती मंज़िल उंगलियों पे वो खुश है। मगर जो पागल हुए उनका कोई हिसाब नही। \n \n वो बात क्या करें जिसकी कोई खबर ना हो। वो दुआ क्या करें जिसका कोई असर ना हो। कैसे कह दे कि लग जाय हमारी उमर आपको। क्या पता अगले पल हमारी उमर ना हो। \nजख़्म इतना गहरा हैं इज़हार क्या करें। हम ख़ुद निशां बन गये ओरो का क्या करें। मर गए हम मगर खुली रही आँखे हमरी। क्योंकि हमारी आँखों को उनका इंतेज़ार हैं। \n \n"